दोस्तों, आपने फिल्मों या टीवी सीरियल्स में law कई बार सुना होगा—”IPC की धारा 307″, “IPC की दफा 302”, या फिर “CRPC की धारा” जैसे शब्द। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भारत में कितने प्रकार के कानून होते हैं?
इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे भारत के Judicial System यानी न्याय प्रणाली में कितने प्रकार के कानून होते हैं और वे किस तरह से काम करते हैं। लेकिन उससे पहले हम कुछ ऐसे शब्दों को समझेंगे, जो आम तौर पर सुनने को मिलते हैं—जैसे:
- एक्ट (Act)
- कोड (Code)
- आर्टिकल (Article)
- सेक्शन (Section)
- और अन्य कानूनी शब्द।

Act क्या होता है?
Act को हिंदी में अधिनियम कहा जाता है। जब कोई बिल (Bill) संसद के दोनों सदनों—लोकसभा और राज्यसभा—से पास हो जाता है और राष्ट्रपति की मंजूरी मिल जाती है, तो वह कानून बन जाता है, जिसे एक्ट कहा जाता है।
उदाहरण:
- CAA (Citizenship Amendment Act)
- Farm Acts
- Right to Information Act
Code क्या होता है?
Code को हिंदी में सहिता कहते हैं। जब पहले से मौजूद कानूनों को एक संगठित रूप में लिखा जाता है और उसे कानून की पुस्तक का रूप दिया जाता है, तो उसे कोड कहते हैं।
उदाहरण:
- IPC – Indian Penal Code (भारतीय दंड संहिता)
- Code of Conduct (आचार संहिता)
- Code of Civil Procedure (CPC)
Article क्या होता है?
Article को हिंदी में अनुच्छेद कहते हैं। भारतीय संविधान के प्रावधानों को अनुच्छेदों में विभाजित किया गया है, ताकि चीजों को व्यवस्थित रखा जा सके।
वर्तमान में भारतीय संविधान में कुल 470 अनुच्छेद हैं।
Section क्या होता है?
Section को हिंदी में धारा या अनुभाग कहते हैं। यह किसी भी एक्ट या कोड के प्रावधानों को समझाने के लिए होता है। जैसे:
IPC की धारा 120 – आपराधिक साजिश।
ध्यान देने वाली बात:
- संविधान में हम “Article” का उपयोग करते हैं।
- Codes या Acts में हम “Section” का उपयोग करते हैं।
भारत के कानूनों के प्रकार (Types of Laws in India)
अब जब हमें बुनियादी शब्दों की समझ हो गई है, तो चलिए जानते हैं कि भारत में कौन-कौन से कानून होते हैं।
1. सर्वोच्च कानून: भारतीय संविधान (Indian Constitution)
भारत का संविधान देश का सर्वोच्च कानून है। इसी के आधार पर पूरे देश को चलाया जाता है। इसमें नागरिकों के अधिकार, कर्तव्य और सरकार की शक्तियों का विवरण होता है।
यदि कोई कानून संविधान के विरुद्ध होता है, तो उसे अवैध घोषित कर दिया जाता है।
2. आपराधिक कानून (Criminal Laws)
इन कानूनों को पुलिस लागू करती है और इनमें अपराधों से संबंधित प्रावधान होते हैं।
2.1 IPC – Indian Penal Code
यह एक किताब है जिसमें सभी अपराधों (जैसे चोरी, हत्या, बलात्कार, धोखाधड़ी आदि) के लिए सजा का वर्णन होता है।
2.2 CRPC – Criminal Procedure Code
यह बताता है कि अपराध होने पर किस प्रक्रिया का पालन किया जाएगा। जैसे:
- गिरफ्तारी कैसे होगी
- बेल कैसे मिलेगी
- कोर्ट ट्रायल कैसे चलेगा
- सजा कैसे दी जाएगी
3. सिविल कानून (Civil Laws)
सिविल कानून उन मामलों के लिए होते हैं जो अपराध नहीं होते, लेकिन कानून का उल्लंघन करते हैं।
उदाहरण:
- प्रॉपर्टी विवाद
- कॉन्ट्रैक्ट का उल्लंघन
- शादी-ब्याह से जुड़े कानून
- हिंदू और मुस्लिम पर्सनल लॉ
3.1 CPC – Civil Procedure Code
यह बताता है कि सिविल मामलों में कोर्ट में कैसे कार्यवाही होगी।
4. क्रिमिनल बनाम सिविल लॉ: अंतर
क्रिमिनल लॉ | सिविल लॉ |
---|---|
अपराध होता है | अपराध नहीं होता |
सजा में जेल या जुर्माना हो सकता है | मुआवजा (compensation) देना होता है |
राज्य बनाम व्यक्ति केस होता है | व्यक्ति बनाम व्यक्ति केस होता है |
सिविल केस में अगर मुआवजा नहीं दिया जाता है, तो जेल हो सकती है।
5. कॉमन लॉ या जज-मेड लॉ (Common Law / Judge-Made Law)
ये वे कानून होते हैं जो कोर्ट के फैसलों से बने होते हैं। जैसे अगर सुप्रीम कोर्ट किसी केस में निर्णय देता है, तो अन्य कोर्ट्स उसी निर्णय का रेफरेंस लेकर फैसला दे सकती हैं।
इन्हें कहते हैं:
- Judicial Precedents
- केस लॉ
- Judge-made Law
6. स्टेचुटरी लॉ (Statutory Law)
ये वे कानून होते हैं जो संसद, विधान सभा या नगरपालिका द्वारा बनाए जाते हैं।
उदाहरण: Motor Vehicles Act, GST Act
7. अध्यादेश (Ordinance)
जब संसद का सत्र नहीं चल रहा होता और कोई अर्जेंट जरूरत होती है, तो राष्ट्रपति (या राज्यपाल) एक्जीक्यूटिव आर्डर से कानून बना सकते हैं।
- इनकी वैधता 6 महीने तक होती है
- उसके बाद संसद से पास होना ज़रूरी होता है
- पास होने पर ये स्थायी Act बन जाते हैं
निष्कर्ष (Conclusion)
इस ब्लॉग में आपने जाना:
- एक्ट, कोड, आर्टिकल और सेक्शन में क्या अंतर है
- भारत में मुख्य रूप से कौन-कौन से कानून होते हैं
- क्रिमिनल और सिविल लॉ में क्या फर्क होता है
- जुडिशियल प्रीसिडेंट, स्टेचुटरी लॉ और अध्यादेश क्या होते हैं